गुरुवार, 24 दिसंबर 2009

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To Mere pass paa hai











Why INDIA is in trouble..... .


शनिवार, 5 दिसंबर 2009

गूगल का "क्रोम" ओपरेटिंग सिस्टम, क्या है खास?

गूगल के माउंटेन व्यू मुख्यालय पर कल पत्रकारों को गूगल के क्रोम ओपरेटिंग सिस्टम की झलक दिखलाई गई. गूगल ने क्रोम वेब ब्राउजर लॉंच करने के 9 महिने के भीतर क्रोम आधारित वेब ब्राउज़र की झलक पेश कर यह साबित कर दिया कि क्रोम ब्राउजर लॉंच करने के पीछे का असली उद्देश्य क्या था.

गूगल को पता है कि दुनिया में नेटबुक का चलन बढने वाला है और इंटरनेट का व्याप अब और तेजी से फैलेगा. गूगल अपने कट्टर प्रतिद्वंदी माइक्रोसोफ्ट से लोहा लेने और बाज़ार में अपनी हिस्सेदारी बढाने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रहा है और नया क्रोम आधारित ओपरेटिंग सिस्टम इसी योजना का एक भाग है.

गूगल ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि क्रोम ओपरेटिंग सिस्टम का प्रोजेक्ट उसके अन्य ओपेरेटिंग सिस्टम एंड्रोइड से अलग है और दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है. एंड्रोइड ओपरेटिंग सिस्टम मोबाइल फोनों के लिए बनाया गया है और वह नेटबुक में भी चल सकता है.

बहरहाल क्रोम ओपरेटिंग सिस्टम लाने का जो उद्देश्य गूगल बता रहा है वह है - लोगों को एक ऐसा ओपरेटिंग सिस्टम देना जो काफी तेज हो, इंटरनेट से लगातार जुड़ा हो और काफी सुरक्षित हो. गूगल क्रोम ओएस के उपाध्यक्ष के अनुसार नेटबुक खोलते ही क्रोम ओएस खुल जाएगा यानी प्रयोक्ता को अपना ओपरेटिंग सिस्टम लोड होने का इंतजार नहीं करना होगा. क्रोम ओएस काफी सरल और सामान्य होगा.

क्रोम ओएस की पहली झलक देखने पर पता चलता है कि इसका आवरण वर्तमान क्रोम वेब ब्राउज़र जैसा ही है. यह तेजी से लोड होता है और उतनी तेजी से बंद भी हो जाता है. इसमें लगभग वह सभी सुविधाएँ और अप्लिकेशनें मौजूद होंगी जो एक सामान्य ओएस में होती है. दरअसल क्रोम ओएस लिनक्स ओपरेटिंग वातावरण के आधार पर बना है और उसी तरह से यह ओपन सोर्स है और प्रयोक्ता इसमें अपनी आवश्यक्ता के अनुसार बदलाव कर पाएंगे.

गूगल क्रोम ओएस के माध्यम से क्लाउड कम्प्यूटिंग को भी एक नया आयाम देने की कोशिश करेगा. गूगल का कहना है कि वह इंटरनेट पर "तितर-बितर" आँकड़ों को समायोजित करेगा. दरअसल होगा यह कि गूगल के ओनलाइन ऑफिस यूटिलिटी टूल जैसे कि नोटपेड और डॉक्स क्रोम ओएस में एक अप्लिकेशन की तरह काम करेंगे. यानी कि आपको वर्ड, स्प्रेडशीट, नोटपेड और स्लाइडशो प्रजेंटेशन बनाने की सुविधा देने वाली सभी अप्लिकेशनें पहले से लोड मिलेगी और आपके डेटा ओनलाइन आपके अकाउंट में संग्रहित होंगे. इससे साधारण और कम स्टोरेज वाली नेटबुक से भी काम चलाया जा सकेगा.

दूसरा फायदा यह कि प्रयोक्ता किसी भी कम्प्यूटर सिस्टम पर अपना वातावरण पा सकेगा यदि उस कम्प्यूटर पर क्रोम ओएस लोड किया हुआ हो तो. मान लीजिए आपके मित्र के नेटबुक में भी क्रोम ओएस हो तो आप उसके नेटबुक पर अपने अकाउंट में लोगिन कर अपना वातावरण पा सकेंगे [इंटरनेट से जुड़ाव आवश्यक].

गूगल का इरादा अगले वर्ष क्रिसमस की छुट्टियों तक क्रोम ओएस समर्थित नेटबुक लॉंच करने की है और इसके लिए आवश्यक भागीदारों से बातचीत जारी है.