रविवार, 25 अक्टूबर 2009

UID नंबर के बारे में क्या जानना चाहते हैं आप?...


सरकार देश के हर नागरिक को एक यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर देने की प्रक्रिया में जोर-शोर से जुट गई है। सरकार की योजना के मुताबिक 2011 तक सभी नागरिकों को यूनिक आइडेंटिफिकेशन संख्या जारी कर दी जाएगी। और इस प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने इन्फोसिस के को-चेयरमैन नंदन नीलेकणी को चुनभी लिया है।

यानी इस नए ऑर्गनाइज़ेशन के चीफ हैं नंदन नीलेकणी। नंदन अब इन्फोसिस के को-चेयरमैन नहीं बल्कि कैबिनेट मिनस्टर के रूप में जाने जाएंगे।

UID प्रोजेक्ट यूपीए सरकार का एक बहुत ही एंबिशस प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट के लिए योजना आयेग के तहत UID अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) का गठन होगा। ये ऑर्गनाइज़ेशन सुनिश्चित करेगा कि इसका फायदा किसी भी तरह से गैर-सामाजिक तत्व न उठा पाएं।

UID प्रोग्राम के तहत देश के हर नागरिक को एक यूनीक नंबर दिया जाएगा। इसके जरिए देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के समाधान के अलावा वस्तुओं और सेवाओं के सार्वजनिक बंटवारे के लिए एक व्यवस्थित तंत्र भी विकसित किया जा सकेगा। शुरुआत में UID नंबर राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर या मतदाता सूची के आधार पर आवंटित की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि व्यक्ति की पहचान पर जालसाजी की संभावना खत्म करने के लिए इसमें तस्वीर और बायोमेट्रिक आंकड़े जोड़े जाएंगे। साथ ही, लोगों के फायदे के लिए इसके आसान पंजीकरण और जानकारियों में बदलाव की प्रक्रिया को आसान बनाने के तरीकों पर भी विचार किया जा रहा है।

प्रस्तावित आइडेंटिटी कार्ड ऐसे स्मार्ट कार्ड होंगे जिनपर व्यक्ति की पूरी जानकारी मिलेगी। शख्स के उंगलुइयों के निशान और तस्वीर। ऐसा नहीं है कि ये यूनीक आइडेंटिटी कार्ड वयस्कों को ही मिलेंगे। बल्कि ये उन्हें भी दिए जाएंगे जो 18 साल से कम उम्र के हैं। इसका लक्ष्य विभिन्न सरकारी विभागों के बीच पहचान के लिए प्रचलित अलग-अलग व्यवस्थाओं को खत्म करना है।

इन स्मार्ट कार्ड्स पर सरकार 6 अरब डॉलर की रकम खर्च करेगी।

सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए कर्नाटक को बतौर पायलट राज्य चुना है। नैशनल अथॉरिटी फॉर युनीक आइडेंटिटी (NAUI), ने राज्य सरकार से छोटे पैमाने पर इस प्रोजेक्ट को लागू करने को कहा है।

कर्नाटक में इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी ई-गवर्नेस डिपार्टमेंट के हाथों में होगी। डिपार्टमेंट शहरी और ग्रामीण जिलों की पहचान कर डाटाबेस इकट्ठा करेगा और इसकी अनुकूलता को आंकेगा

इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में काफी समय लगेगा। कारण है जन्म, मौतें, शादियों, पासपोर्ट डाटा, बैंक अकाउंट और राशन डाटा को एक डाटाबेस में डालना। और फिर, ऐसा करने से अलग-अलग ऑफिसों के लिए भी सहुलियत होगी। अपने अकाउंट्स को अपडेट करने के लिए सीधे सेंट्रल डाटाबेस को एक्सप्लोर कर सकते हैं।

सरकार को उम्मीद है कि इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में 3 साल का समय लग जाएगा।

नैशनल ID कार्ड प्रोजेक्ट इंफर्मेशन टेक्नॉलजी प्रोडक्ट्स और सॉल्युशन्स के लिए भारी मांग का सोर्स होगा। यानी TCS, इंफोसिस और विप्रो जैसी बड़ी घरेलू आईटी कंपनियों को अच्छा बिज़नस देगा।

जब अमेरिका और यूरोप जैसे बाजार रिसेशन का शिकार हैं तब घरेलू कंपनियों के लिए इससे बढ़िया बात क्या हो सकती है।

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