शनिवार, 7 नवंबर 2009
ईमेल से बढ़ाएं मेल, लेकिन जरा बच के
इलेक्ट्रॉनिक मेल सेवा संचार क्रांति में खासी मददगार साबित हुई है। इसकी मदद से दुनिया के किसी भी कोने में बैठे शख्स से हम बात कर सकते हैं। शर्त बस इतनी है कि वह शख्स इंटरनेट की सेवा से महरूम न हो।
इसके फायदे के बारे में साइबर मामलों के जाने माने विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने कहा ईमेल एक डिजिटल सेवा है जिसके इस्तेमाल से एक दूसरे के संपर्क में रहने के अलावा किसी चीज का प्रचार-प्रसार भी किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि ई-मेल के आविष्कार के पीछे मकसद दो या दो से अधिक लोगों के बीच सूचना का तेजी से आदान-प्रदान करना था लेकिन अब इसका गलत इस्तेमाल भी धड़ल्ले से हो रहा है। आगे जानिए क्यों हैं बच कर रहना ज़रूरी?...
ईमेल से मानहानि और शक के दायरे में आ सकते हैं आप!
दुग्गल का कहना है कि ई-मेल के जरिये जहां किसी की मानहानि हो सकती है वहीं, यानी अपना असली नाम छुपाकर इसका दुरूपयोग भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोई भी शख्स किसी के ई-मेल आई-डी यानी किसी अन्य की पहचान और पासवर्ड जानकर दूसरों को धमकी भरा संदेश भेज सकता है और इस मामले की जांच होने पर वह शख्स शक के दायरे में आएगा जिसके ई-मेल आई-डी से धमकी दी गयी।
साइबर क्राइम और खासतौर से ई-मेल के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने भी कुछ कदम उठाये हैं।
दिल्ली पुलिस बता रही है कैसे करें सुरक्षित इस्तेमाल?
इस बारे में दिल्ली पुलिस के उपायुक्त शिवेश सिंह ने कहा कि हम अखबारों, टीवी चैनलों और अपनी वेबसाइट की मदद से लोगों को इस बात से वाकिफ करा रहे हैं कि कैसे सुरक्षित तरीके से ई-मेल का इस्तेमाल किया जाये। लोगों से काम खत्म होने के बाद सही तरीके से लॉगआउट करने, किसी को भूलकर भी अपना पासवर्ड नहीं बताने की अपील की जाती है।
उन्होंने कहा कि आतंकवादियों द्वारा भी ई-मेल के गलत इस्तेमाल की बातें सामने आ चुकी हैं। ईमेल की मदद से गुप्त ई-मेल भेजे जाने के बारे में सिंह ने बताया कि में एक खास कोड का इस्तेमाल किया जाना चाहिये जिससे कोई चाहकर भी किसी का संदेश न पढ़ सके।
गलत इस्तेमाल...हो सकती है 5 साल की जेल
साइबर क्राइम से जुड़े मामलों के जाने माने वकील दुग्गल ई-मेल के गलत इस्तेमाल के मामले में सजा के प्रावधान बारे में कहते हैं कि मानहानि के मामले में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत तीन साल की सजा और पांच लाख रूपये का जुर्माना हो सकता है।
इसी तरह यानी किसी ऐसे व्यक्ति से आपको ई-मेल मिलना जिसे आपने आमंत्रित ही नहीं किया हो, को भारत सहित दुनिया के कई देशों में अपराध घोषित किया गया है। ई-मेल इस्तेमाल करने वालों के सामने आने वाली एक बहुत ही आम समस्या है उनके एकाउंट में वायरस का संचार। दूसरों के एकाउंट में वायरस भेजना भी एक दंडनीय अपराध है। इसमें भी आईटी कानून के तहत तीन साल की सजा हो सकती है।
दुग्गल के अनुसार अभी तक भारत में साइबर क्राइम के तहत तीन लोगों को सजा सुनायी जा चुकी है।
किसे-किसे मिल चुकी है सज़ा?...
उन्होंने 2006 में सामने आए तमिलनाडु के एक मामले के बारे में बताया कि वहां एक व्यक्ति ने अपनी पूर्व महिला मित्र की तस्वीर से उसका चेहरा निकालकर उसे एक निर्वस्त्र मॉडल की तस्वीर पर लगा दिया और फिर वह तस्वीर उस लड़की के परिवार तथा उसके दोस्तों को भेज दी। इस मामले में एक अदालत ने मानहानि के आरोप में दोषी पाते हुए उस व्यक्ति को तीन साल की सजा सुनाई। ई-मेल के इस्तेमाल की शुरुआत का इतिहास 1971 से मिलता है। सबसे पहले अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के तहत काम करने वाली कंपनी बेरानेक एंड न्यूमैन(बीबीएन)के कंप्यूटर इंजीनियर रहे रे। टॉमलिनसन ने वर्ष 1971 में ई मेल का इस्तेमाल किया। यह पहला इस्तेमाल एक साथ रखे गये दो कम्प्यूटरों के बीच हुआ था।
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