मंगलवार, 17 नवंबर 2009

मोबाइल चार्जर क्या भूतकाल की बात बन जाएंगे?

बात करते करते अचानक मोबाइल की बैटरी उतर जाना एक बडा दु:स्वप्न है. सोचिए यदि आप रास्ते में अकेले हों और ऐसा हो तो? वैसे आजकल आधुनिक तकनीको की मदद से मोबाइल की बैटरी लाइफ बढ गई है लेकिन फिर भी यह समस्या पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है.

दुनिया भर की कई संस्थाएँ और इंजीनियर मोबाइल फोन की बैटरी की उम्र बढाने की जद्दोजहद में लगे हैं. हाल ही में सैमसंग ने अपने गुरू सिरीज का नया फोन सोलरगुरू लॉंच किया है. यह फोन सूर्यकिरणों से रिचार्ज हो जाता है. इस फोन के पीछे सोलर सेल लगे हैं. 3-4 घंटे तक सूरज की रोशनी में रखने से यह फोन 15-20 मिनट बात की जा सके इतना चार्ज हो जाता है.

अमेरिका के एक इंजीनियर ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे मोबाइल धारक के द्वारा पैदल चलने से उसका मोबाइल रिचार्ज होता जाता है.

लेकिन हाल ही में गुवाहाटी की एक स्कूल छात्रा ने एक अनोखी तकनीक विकसित कर सबका ध्यान खींचा है. गुवाहाटी के खानपाडा की केंद्रीय विद्यालय में पढने वाली 11 कक्षा की छात्रा अस्मिता बोरा ने ऑटो चार्जर बनाया है. यह ऑटो चार्जर बैटरी को अपने आप रिचार्ज करता रहता है. इसके लिए अस्मिता ने मोबाइल फोन द्वारा उत्सर्जित रेडिएशन को ही फिर से उपयोग मे लाया है. अस्मिता की डिवाइज़ रेडिएशन को सोख कर उसे गर्मी मे रूपांतरित करता है और फिर उसे इलैक्ट्रिक ऊर्जा में बदल कर बैटरी तक पहुँचाता है.

अस्मिता ने इस तकनीक को अभी व्याख्यात्मक रूप ही दिया है और एक साधारण सा डिवाइज़ भी बनाया है. लेकिन इससे भविष्य की राह खुल गई है.

अस्मिता को चैन्नई में आयोजित जवाहरलाल नेहरू विज्ञान प्रदर्शनी में द्वितीय पुरस्कार मिला है.

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