बुधवार, 18 नवंबर 2009

How to Set Up a Dual Boot System

Dual booting (also called multibooting) lets you boot your computer to any operating system that you can select at startup. For example, if your PC contains both Windows XP and Ubuntu (a Linux distribution), you can select either operating system each time you start or restart your PC. You can run only your selected operating system until you shut down your PC.

Note: Dual booting or multibooting lets you run only one operating system after each startup. Therefore, it is not the same as virtualization, in which one or more guest operating systems can run simultaneously with a host operating system. For more information, see Benefits of Virtualization.

Dual Booting Windows with Linux

You can dual boot and multiboot Windows and Linux. For example, you can install Ubuntu to dual boot with Windows as follows:

  1. Go to Ubuntu.com, download Ununtu, and then burn its ISO image onto an Ununtu installation CD.
  2. Close all applications, and then insert the Ununtu installation CD into the optical drive to display the “Ubuntu Menu” as shown below.

  3. Click on the Install inside Windows button to display the “Ubuntu Installer” window.
  4. Enter and confirm a password, and then click on the Install button to start the installation and display its progress.
  5. After the installation ejects the CD, remove the CD, select Reboot now, and then click on the Finish button to reboot your PC.
  6. When your PC restarts, select Ubuntu so that it can finish its installation.

Setting Your Default Operating System

To set your default operating system in a dual or multiboot system, do the following:

  1. Boot to a Windows operating system.
  2. On your desktop, click on the Start button to display its menu, and then (in the Classic Start menu) click on Settings to display its menu.
  3. Click on Control Panel to display its icons, and then click on the System icon to display the “System Properties” window, and then click on the Advanced tab to display its page.
  4. In the “Startup and Recovery” frame, click on Settings to display the “Startup and Recovery” window.
  5. Use the “Default operating system” dropdown menu to select which operating system you want to start automatically if you do not select another at startup.

    CAUTION: Never use the Edit button because manually configuring your startup file can cause problems so severe that you cannot boot any operating system.

  6. Click OK to close the “Startup and Recovery” window, click OK to close the “System Properties” window, and then close the Control Panel.

Dual Booting Windows with Windows

You can dual boot or multiboot the following Microsoft Windows operating-system combinations:

  • Windows XP with earlier Windows operating systems
  • Windows Vista with other Windows operating systems
  • Windows 7 with other Windows operating systems

Dual Booting Windows XP with Earlier Windows Operating Systems - As detailed by Microsoft Support - XP, you can dual boot or multiboot Windows XP with one or more earlier Windows operating systems. To dual boot or multiboot Windows XP with earlier Windows, do the following:

  1. Install two or more Windows operating systems on separate volumes (disks or partitions) in the following order:
    1. MS-DOS
    2. Windows 95, 98, or Me
    3. Windows NT (not recommended, use only for evaluation)
    4. Windows 2000
    5. Windows XP
  2. Set your default operating system according to the “Setting Your Default Operating System” procedure above.

Dual Booting Windows Vista with Other Windows Operating Systems - As detailed by Microsoft Support - Vista, you can dual boot or multiboot Windows Vista with one or more other Windows operating systems. To dual boot or multiboot Windows Vista with other Windows, do the following:

  1. While running your current Windows operating system, make sure it is connected to the internet.
  2. Insert the installation CD for another Windows operating system into the optical drive.
  3. Click on Install now, and then follow the prompts.
  4. As prompted, install all “important updates for installation” and enter “your product key for activation.”
  5. When asked “Where do you want to install Windows?,” select the disk or partition on which you wish to install this Windows operating system.
  6. Click on “Next” to start the installation.
  7. Set your default operating system according to the “Setting Your Default Operating System” procedure above.

Dual Booting Windows 7 with Other Windows Operating Systems - To dual boot Windows 7 with Vista, or multiboot Windows 7 with Vista and other operating systems, simply install Windows 7 in its own volume on a Windows Vista system as explained above. For more information, see Techspot.

Dual Booting Mac OS X with Windows

You can dual boot Mac OSX and Windows through Boot Camp

मंगलवार, 17 नवंबर 2009

वाह क्या विज्ञापन है!



विज्ञापन एजेंसी मुद्रा की चैन्नई शाखा के युवा डिजायनरों अरूण चक्रवर्ती, मोहन जो मंजूरण और मुकुन्द ओलेटी (Arun Chakkravarthy, Mohan Jo Manjooran and Mukund Olety) द्वारा बनाये गए इस शानदार विज्ञापन ने हाल ही में प्रतिष्ठित AAAI युवा डिजायनर पुरस्कार जीता है.

घर उपयोगी चीजों के हजारों मैन्यूअल, मुफ्त उपलब्ध Share

क्या आपको अपने टीवी पर कुछ सेट करना है लेकिन उसकी दिशा निर्देश पुस्तिका यानी कि मैन्यूअल नहीं मिल रहा? तो आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. बस इस साइट पर जाइए.

इस साइट पर असंख्य उत्पादों जैसे कि मोबाइल फोन, वाशिंग मशीन, टीवी, ओवन, डिजीकेम आदि के अनगिनत मैन्यूअल रखे गए हैं. यहा एक सर्च सुविधा भी है जिससे आप अपना मैन्यूअल आसानी से ढूंढ सकते हैं.

उसके बाद बस अपना मैन्यूअल डाउनलोड कर लीजिए.

10 सर्च इंजिन जिनके बारे में शायद आप ना जानते हों

सर्च इंजिन सुनते ही जो नाम सबसे पहले दिमाग में आता है वह होता है गूगल. आज “गूगल यानी सर्च इंजिन” और “सर्च इंजिन यानी गूगल” ऐसा हो गया है और यह गलत भी नही है क्योंकि गूगल का इस क्षेत्र के 65% हिस्से पर कब्जा है.

लेकिन माइक्रोसोफ्ट का बिंग और याहू भी अच्छे 12% और करीब 20% हिस्से के साथ इस क्षेत्र में उपस्थिति दर्ज करवाते हैं. इसके अलावा अल्टा विस्टा, एक्साइट जैसे कई अन्य जाने पहचाने नाम भी हैं. परंतु कुछ और भी सर्च इंजिन हैं जो वाकई में उपयोगी हैं और बहुत कम लोग इनके बारे में जानते हैं.

ऐसे अधिकतर सर्च इंजिन विषय आधारित होते हैं. इस कड़ी के पहले भाग में प्रस्तुत है 10 ऐसे सर्च इंजिन जो पीडीएफ या डोक्यूमेंट फाइलें ढूंढने में आपकी मदद करते हैं:

  1. PDF सर्चर
    पीडीएफ सर्चर पीडीएफ और ईबुक की खोज करता है. ये पीडीएफ फाइलें आप मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं.
  2. PDF सर्च इंजिन
    पीडीएफ सर्च इंजिन ना केवल साइटों बल्कि फोरम तथा मैसेज बॉर्ड में रखी गई पीडीएफ फाइलें ढूंढता है.
  3. AddAll
    एडऑल एक मुफ्त सेवा है जो इंटरनेट पर मौजूद किताबों की खरीददारी संबंधित अच्छी डील ढूंढती है.
  4. BookFinder
    बुकफाइंडर एक बहुत ही उपयोगी सर्च इंजिन है. यह सर्च इंजिन ईकामर्स साइटों पर मौजूद करीब 15 करोड किताबों की खोज करता है और उन्हे नई, पुरानी, उपयोगी, लुप्तप्राय आदि कई श्रेणियों में विभाजित करता है.
  5. Brupt
    Brupt.com गूगल के ही कस्टम सर्च इंजिन पर आधारित है और गूगल के फाइल टाइप पेरामिटर का उपयोग कर जानकारियों को वर्गीकृत कर पन्नों पर दिखाता है.
  6. ComicSeeker
    यह साइट इंटरनेट पर मौजूद कॉमिक ई-साइटों और बोली लगाने वाली साइटों का पता लगाती है.
  7. DocJax
    डॉकजैक्स ना केवल विभिन्न डोक्यूमेंट और ईबुक की खोज करता है बल्कि उनका प्रिव्यू भी दिखाता है और इन्हे मुफ्त डाउनलोड करने की सुविधा भी देता है.
  8. FeedBooks
    यह एक ईबुक रिडींग प्लेटफार्म है जिसे मोबाइल पर भी आसानी से चलाया जा सकता है.
  9. Google Books
    मुफ्त ईबुक पढने की सुविधा देता है. कुछ किताबों का केवल प्रिव्यू ही उपलब्ध है.
  10. Myplick
    मायप्लिक एक मुफ्त सेवा है जहाँ आप स्लाइड शो साझा कर सकते हैं. लोग यहाँ कई प्रकार के स्लाइड शो प्रजेंटेशन की खोज कर सकते हैं.

मोबाइल चार्जर क्या भूतकाल की बात बन जाएंगे?

बात करते करते अचानक मोबाइल की बैटरी उतर जाना एक बडा दु:स्वप्न है. सोचिए यदि आप रास्ते में अकेले हों और ऐसा हो तो? वैसे आजकल आधुनिक तकनीको की मदद से मोबाइल की बैटरी लाइफ बढ गई है लेकिन फिर भी यह समस्या पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है.

दुनिया भर की कई संस्थाएँ और इंजीनियर मोबाइल फोन की बैटरी की उम्र बढाने की जद्दोजहद में लगे हैं. हाल ही में सैमसंग ने अपने गुरू सिरीज का नया फोन सोलरगुरू लॉंच किया है. यह फोन सूर्यकिरणों से रिचार्ज हो जाता है. इस फोन के पीछे सोलर सेल लगे हैं. 3-4 घंटे तक सूरज की रोशनी में रखने से यह फोन 15-20 मिनट बात की जा सके इतना चार्ज हो जाता है.

अमेरिका के एक इंजीनियर ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे मोबाइल धारक के द्वारा पैदल चलने से उसका मोबाइल रिचार्ज होता जाता है.

लेकिन हाल ही में गुवाहाटी की एक स्कूल छात्रा ने एक अनोखी तकनीक विकसित कर सबका ध्यान खींचा है. गुवाहाटी के खानपाडा की केंद्रीय विद्यालय में पढने वाली 11 कक्षा की छात्रा अस्मिता बोरा ने ऑटो चार्जर बनाया है. यह ऑटो चार्जर बैटरी को अपने आप रिचार्ज करता रहता है. इसके लिए अस्मिता ने मोबाइल फोन द्वारा उत्सर्जित रेडिएशन को ही फिर से उपयोग मे लाया है. अस्मिता की डिवाइज़ रेडिएशन को सोख कर उसे गर्मी मे रूपांतरित करता है और फिर उसे इलैक्ट्रिक ऊर्जा में बदल कर बैटरी तक पहुँचाता है.

अस्मिता ने इस तकनीक को अभी व्याख्यात्मक रूप ही दिया है और एक साधारण सा डिवाइज़ भी बनाया है. लेकिन इससे भविष्य की राह खुल गई है.

अस्मिता को चैन्नई में आयोजित जवाहरलाल नेहरू विज्ञान प्रदर्शनी में द्वितीय पुरस्कार मिला है.

7 असफलताएँ भारत की जिन पर हमें दुख है

स्वतंत्रता के बासठ साल हो जाने के बाद भी भारत कई क्षेत्रों में नितांत असफल रहा है. यह हमारे लिए चिंता की बात तो है ही, साथ ही सबक ले तो भविष्य का उज्जवल मार्ग भी साफ देख सकते है.

दंगे
धर्म, प्रांत व भाषा के नाम पर भारत भीषण दंगे भोगता रहा है. जन-धन हानी के साथ साथ देश की प्रतिष्ठा भी खंडित होती रही है.

भ्रष्टाचार
महान संस्कृति का दम्भ भरने वाला भारत भ्रष्टाचारी देशों में शामिल होता है. हर चौथे सांसद पर आपराधिक मामले चल रहे है. हर दूसरा भारतीय कभी न कभी घूस जरूर देता है.

गरीबी
120 करोड़ के देश में 27% जनता अभी भी गरीबी रेखा के नीचे जी रही है. अगर अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा से तुलना करें तो 42% भारतीय गरीबीरेखा के नीचे जी रहे हैं.

न मानने में आए ऐसी बात है कि भारत में 5 करोड़ बाल मजदूर हैं, जो किसी न किसी रूप में मजदूरी कर रहे हैं.

जनसंख्या
अनियंत्रित जनसंख्या देश के संसाधनों पर भारी दबाव बना रही है. प्रकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन पर्यावरण के लिए खतरा बनता जा रहा है. साठ साल में भारत की जनसंख्या चार गुना बढ़ गई है.

लिंग अनुपात में असंतुलन
सामाजिक मान्यताओं के चलते व नवीन संसाधनों की उपलब्धता से कन्याओं को गर्भ में ही मार देने का चलन इस हद तक बढ़ा की लिंग अनुपात ही गड़बड़ा गया है. आज देश के कई क्षेत्रों में 1000 पुरूष के मुकाबले मात्र 800 महिलाएं हैं.



सीमाएं सिकुड़ना
कोई भी राष्ट्र अपनी सीमाओं में सुरक्षित रहता है और इस सीमाओं की रक्षा भी करता है. आज़ादी के बाद भारत की सीमाएं सिकुड़ी है. हमने अपनी जमीन पाकिस्तान व चीन के हाथों गँवाई है.

अंग्रेजी राज
स्वतंत्रता के साथ अंग्रेजी राज खत्म हुआ था, मगर एक विदेशी भाषा ने कहीं अधिक जड़े जमा ली है. भारत अंग्रेजी के स्थान पर अपनी भाषा को स्थापित करने में नाकाम रहा.


अपनी राय टिप्पणी के माध्यम से दीजिए.

गुरुवार, 12 नवंबर 2009

DOWNLOAD FAST FROM RAPIDSHARE

Downloading FREE from RAPIDSHARE IS often a headache due to the time delay for FREE downloaders!!!



HERE IS A SOLUTION TO THAT PROBLEM

>>> Click a Download link for Rapidshare !

>>> Click the Free button on Rapidshare Page !

>>> Now as usual the timer starts !!!

>>> Now, go to the address box of your browser.
(Where you type the websites !)

>> In the address box type: javascript:alert(c=0)

>> Click OK on the alert box that arises
UR PROBLEM IS SOLVED........

See all rapidshare folders

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Use following keywords in google to see all rapidshare folders available on internet

site:rapidshare.com inurl:users "*"

site:rapidshare.de inurl:users "*"

site:rapidshare.com inurl:files "*"

site:rapidshare.de inurl:files "*"

site:rapidshare.com inurl:users (pass|password)

site:rapidshare.de inurl:users (pass|password)

Suppose u need some info on hacking.Then u can try following keywords to see all rapidshare folders having any hacking related thing in it

site:rapidshare.com inurl:users "hack"

site:rapidshare.com inurl:users "hacking

समस्‍त इंस्‍टेंट मैसेन्‍जर का इस्‍तेमाल करें किंतु बिना इंस्‍टाल किये

याहू हो या जी मेल एम एस एन हो या माईस्‍पेस समस्‍त इंस्‍टेंट मैसेन्‍जर का काम ले किंतू इंस्‍टाल क‍ि आवश्‍यकता नहीं है विश्‍वास न हो तो यहां घुम आईये

मंगलवार, 10 नवंबर 2009

विंडोज़ एक्सपी हैक: राइट क्लिक में "कॉपी टु" जोड़ें

विण्डोज XP के एक्सप्लॉरर में राइट (दाईं) की के मेनू में "सेंड टू" विकल्प के साथ ही "कॉपी टू" तथा "मूव टू" सोर्टकट जोड़ने के लिए विंडोज की रजिस्ट्री में छोटे से बदलाव करने होंगे. मगर इससे पहले रजिस्ट्री का बैक-अप ले लें.

  • अब "स्टार्ट" पर जाकर "रन" पर क्लिक करें तथा डायलोग बॉक्स में " Regedit" टाइप करें.
  • अब निम्न "की" को रजिस्ट्री में खोजें :
  • HKEY_CLASSES_ROOT\AllFilesystemObjects\shellex\ContextMenuHandlers
  • ContextMenuHandlersfolder पर दांयी क्लिक कर New > Key to add a new key को चुनें.
  • इसे "Copy To" नाम दें तथा नई "की" के दायें पेनल में डिफोल्ट की वेल्यू पर डबल क्लिक करें.
  • इस कोड को {C2FBB630-2971-11D1-A18C-00C04FD75D13} नए डेटा के रूप में भर दें.
  • इसी तरह फिर से ContextMenuHandlersfolder पर दांयी क्लिक कर New > Key to add a new key को चुनें.
  • इसे "Move To" नाम दें तथा नई "की" के दायें पेनल में डिफोल्ट की वेल्यू पर डबल क्लिक करें.
  • इस कोड को {C2FBB631-2971-11D1-A18C-00C04FD75D13} नए डेटा के रूप में भर दें.
  • अब ऑके पर क्लिक करते हुए Regedit को बन्द कर दें.

आपके राइट क्लिक पर अब "कॉपी टू" तथा "मूव टू" विकल्प उपलब्ध है.


साभार
http://www.tarakash.com/200904023448/Useful-Hacks/good-windows-xp-hack.html

याद रखने के लिए स्क्रीन पर स्टीकि लगायें


ओह! व्यस्तता में कुछ जरूरी काम भूल जाते है? कोई याद दिलाने वाला चाहिए? तो अपनी नजरों के सामने स्क्रीन पर ही लिख कर रख लें. स्टीकिपेड नामक छोटा-सा सॉफ्टवेर इसमें काम आयेगा. इसे यहाँ से डाउनलोड करें. हाँ युनिकोड में लिखी हिन्दी को प्रश्न चिन्ह में बदल देता है, अतः रोमन से काम चलाना पड़ेगा, भले ही वह आँखो को अखरे.

साभार
http://www.tarakash.com/20080215707/Useful-Hacks/sticky-pad.html

विंडोज की कहानी, तब से लेकर अब तक

10 नवम्बर 1983. स्थान – न्यूयार्क का प्लाज़ा होटल.

दो व्यक्ति मंच पर खड़े थे. इनमें से एक व्यक्ति दूसरे की अपेक्षा काफी युवा लग रहा था और अधिक उत्साहित भी. वह बिल गेट्स थे और उसके साथ खड़ा थे पौल एलन . ये दोनों तकनीकविद उस दिन अपने पहले ग्राफिक यूजर इंटरफेस ऑपरेटिंग सिस्टम – माइक्रोसोफ्ट विंडोज़ को लॉंच कर रहे थे. उन्हें अनुमान था पर यकीन नहीं था कि उनका ओपरेटिंग सिस्टम एक दिन दुनिया पर राज करेगा.
आईए रूबरू होते हैं विंडोज की कहानी से -
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विंडोज़ 1.01 [1985]
यह ओररेटिंग सिस्टम मात्र 1 एमबी की जगह लेता था. यह स्वयं बूट नहीं होता था बल्कि एक अप्लिकेशन की तरह चलता था. यह ओपरेटिंग सिस्टम [वातावरण कह सकते हैं] MS-DOS 5.0 समर्थित कम्प्यूटर सिस्टम पर चलता था.

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विंडोज 1.03 [1986]
एक साल बाद ही माइक्रोसोफ्ट ने विंडोज 1.03 रिलीज किया. यह एक अपग्रेड संस्करण था. पूरा ओपरेटिंग सिस्टम 2.2 एमबी में आ जाता था.

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विंडोज़ 2.03 (1987)
माइक्रोसोफ़्ट तेज़ी से कदम बढा रहा था. इंटेल के 286/386 प्रोसेसर के आ जाने से कम्प्यूटर सिस्टम भी तेज हो गए थे. माइक्रोसोफ्ट ने स्थिति का फायदा उठाते हुए विंडोज का अगला संस्करण जारी किया.

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विंडोज 3.0 [1990]
यह विंडोज का पहला बड़ा रिलीज था ऐसा कह सकते हैं क्योंकि इसमें बहुत सारी नई सुविधाएँ जोड़ी गई थी. फाइल मैनेजर, प्रोग्राम मैनेजर आदि कुछ ऐसी सुविधाएँ थी जो इस संस्करण के साथ पहली बार जारी की गई. मजे की बात यह है कि ये दोनों सुविधाएँ आज भी उपलब्ध है.

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विंडोज़ 3.11 [1993]

माइक्रोसोफ्ट ने 1992 में विंडोज 3.1 जारी किया था जो कि विंडोज 3 का बग फ्री संस्करण था. लेकिन 3.11 में कुछ नई सुविधाएँ जोड़ी गई थी. इसमें से उल्लेखनीय सुविधा थी वर्कग्रुप और डुमेन नेटवर्किंग. विंडोज आधारित पीसी अब नेटवर्क में आसानी से जुड़ सकते थे.


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विंडोज 95 [1995]
माइक्रोसोफ़्ट का क्रांतिकारी ओपरेटिंग सिस्टम था विंडोज 95. यह वास्तव में पहला पूर्ण ग्राफिकल यूजर इंटरफेस सिस्टम था. इसमें 32 बिट TCP/IP इंटरनेट सपोर्ट, डायल अप नेटवर्किंग और प्लग एंड प्ले सुविधा जोड़ी गई थी. लोगों ने इस ओपरेटिंग सिस्टम को खूब सराहा था.


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विंडोज़ 98 [1998]
यह विंडोज 95 का अपग्रेड संस्करण था. माइक्रोसोफ्ट ने इस संस्करण की टेगलाइन रखी थी – “Works Better, Plays Better”. माइक्रोसोफ्ट ने स्वयं स्वीकार किया है कि यह उनका पहला ऐसा ओपरेटिंग सिस्टम था जो केवल ग्राहकों के लिए डिजाइन किया गया था.


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विंडोज एमई [2000]
विंडोज मिलिनीयम एडिशन या एमई घर पर इस्तेमाल करने वाले लोगों के लिए बनाया गया ओपरेटिंग सिस्टम था. इसमें कई संगीत, वीडियो और होम नेटवर्किंग की कई सुविधाएँ जोड़ी गई थी. लेकिन यह ओपरेटिंग सिस्टम लोकप्रिय हो पाता उससे पहले ही माइक्रोसोफ्ट ने एक धमाका कर दिया था.


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विंडोज एक्सपी [2001]
और धमाका था विंडोज एक्सपी. यह वह ओपरेटिंग सिस्टम है जिसने माइक्रोसोफ्ट को भरपूर लाभ दिया. विंडोज एक्सपी काफी सुरक्षित, इस्तेमाल में आसान और आधुनिक ओपरेटिंग सिस्टम है. यह ओपरेटिंग सिस्टम घर तथा व्यापार दोनों क्षैत्रों के लिए उपयोगी है. इसमें कई नई सुविधाएम जैसे कि रिमोट डेस्कटाप सपोर्ट, इंस्क्रीपटेड फाइल सिस्टम और सिस्टम रीस्टोर आदि जोड़ी गई थी. यह आज तक का सर्वाधिक लोकप्रिय ओपरेटिंग सिस्टम है.


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विंडोज विस्टा [2006]
विंडोज एक्सपी के बाद माइक्रोसोफ्ट ने नया ओपरेटिंग सिस्टम लाने में काफी वर्ष लगा दिए लेकिन फिर भी नतीजा उम्मीद पर खरा नहीं उतरा. विस्टा आधुनिक ओपरेटिंग सिस्टम जरूर है लेकिन माइक्रोसोफ्ट ने कई ऐसी पाबंदिया लगा दी जिससे कई हार्डवेर इस ओपरेटिंग सिस्टम पर चलना बंद हो गए. एक्सपी के आदि लोगों ने भी इस ओपरेटिंग सिस्टम को खास पसंद नहीं किया. विस्टा माइक्रोसोफ्ट के लिए एक फ्लोप सिस्टम साबित हुआ है.


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विंडोज 7 [2009]

यह विंडोज का अगला ओपरेटिंग सिस्टम है. विस्टा की नाकामयाबी ने माइक्रोसोफ्ट को जल्द ही एक नया ओपरेटिंग सिस्टम लाने पर मजबूर किया है. विस्टा की गलतियों से सबक लेते हुए माइक्रोसोफ्ट ने इस नए ओपरेटिंग सिस्टम में कई बदलाव किए हैं. यह विस्टा से कम जगह घेरता है और लगभग हर हार्डवेर को सपोर्ट करता है.



हमने इस रपट में केवल "घरेलु" विंडोज सिस्टम का ही समावेश किया है. इसके अलावा माइक्रोसोफ्ट ने नेटवर्किंग आधारित कुछ अन्य ओपरेटिंग सिस्टम जैसे कि विंडोज एनई, विंडोज़ वर्कस्टेशन, विंडोज 2000, विंडोज सर्वर 2003 आदि भी जारी किए हैं.


साभार

http://www.tarakash.com/200910055449/computer/windows-evolution-1985-2009.html

फोटोशोप : मुलायम त्वचा

फोटोशोप की मदद से तस्वीर में त्वचा को खास कर चहरे की त्वचा को साफ और नरम मुलायम बनाएं. यह रही विधि..

तस्वीर को फोटोशॉप में खोलें. लेयर प्लेट में यह बेकग्राउंड इमेज होगी. इसकी नकल बना लें. यह विण्डोज में कंट्रोल + J से होगा.

अब नकल हुई इमेज जो "लेयर 1" के नाम से है, उसे चुन लें और लेयर ब्लेन्ड मोड में जाएं, वहाँ अभी Normal होगा, उसे Overlay कर दें. इससे तस्वीर में कोंट्रास्ट व कलर सेचुरेशन बढ़ा हुआ दिखेगा.

अब मुख्य मेनू बार से फिल्टर > अधर > हाइपास में जाएं. हाइपास की अलग विण्डो खुलेगी. यहाँ एक ही विकल्प दिखेगा "रेडियस" जो 6 होगा, जिसे अगर हाइरिजोल्युशन की तस्वीर है तो 9-10 तक आजमा सकते है. फिर ओके करते हुए निकल आईये.

अब इमेज मेनू में जा कर Adjustments > Invert को चुनें.

अब वापस लेयर प्लेट पर लौटिये और लेयर 1 की ओपेसिटी कम करें, जो अभी 100% है उसे 60% के आसपास कर सकते है.

तस्वीर एकदम मुलायम नजर आने लगी है. यही तो हमें चाहिए था. अब इसे और प्रकृतिक दिखाने के लिए चहरे के कुछ हिस्सो को जैसे आँख का काला हिस्सा, होंठ, नाक के छिद्र वगेरे से सॉफ्टनेश हटाएंगे.

इसके लिए लेयर 1 को चयनित रखते हुए उसे मास्क करेंगे, फिर औजार पट्टी से ब्रस को लेंगे, इसे B दबाकर भी ले सकते है, ब्रस का आकार आवश्यकतानुसार मगर फेदर वाला रखें. साथ ही औजार पट्टी में उपर का रंग काला रखें. अब चहरे के इच्छीत भागो को सलिके से साफ करें. वाह! क्या साफ मुलायम तस्वीर.

साभार
http://www.tarakash.com/200807121359/Useful-Hacks/photoshop-soft-skin.html

जीमेल, गूगल कैलेंडर, रीडर, पिकासा आदि एक साथ देखें


यदि आपने अपना गूगल अकाउंट बनाया हुआ है तो जाहिर है आप गूगल की लोकप्रिय सेवाएँ जैसे कि जीमेल , कैलेंडर , रीडर , पिकासा आदि का इस्तेमाल करते ही होंगे. कई बार ऐसा होता है कि इन सभी सेवाओं का एकसाथ उपयोग करना पड़ता है. ऐसे में इन सभी साइटों को अलग अलग खोलना समय नष्ट करता है.


वैसे जीमेल में आजकल कुछ लेब फीचर जोड़े गए हैं जिससे गूगल कैलेंडर, टास्क और डॉक्स आदि के गैजेट जीमेल के आवरण में दिखाई देते हैं, लेकिन वे भी चुँकि गैजेट ही होते हैं इसलिए वहाँ दी गई कड़ी पर क्लिक करने से नए टेब या विंडो में वह साइट खुल जाती है.

लेकिन यदि आप फायरफोक्स प्रयोक्ता हैं तो एक एड-ऑन जोड़ सकते हैं. माइकल नामक एक तकनीकविद द्वारा तैयार इंटग्रेट जीमेल नामक यह एडऑन मुफ्त उपलब्ध है. इसे इंस्टाल करने के बाद आप जब जीमेल खोलेंगे तो पाएंगे कि आपके इनबॉक्स के नीचे गूगल रीडर और कैलेंडर जुड़ गए हैं.

यदि आप गूगल की अन्य सेवाओं को जोड़ना चाहें तो फायरफोक्स के टूल्स मेनु में जाकर एड-ऑन चुनें और सूची में से इंटग्रेट जीमेल चुनकर उसके ओपशंस में जाएँ.

इस एडऑन के माध्यम से आप एक ही स्क्रीन पर जीमेल, कैलेंडर, रीडर, गूगल वोइस, ग्रुप्स, नोटबुक, पिकासा, समाचार आदि सेवाएँ देख सकेंगे. सभी साइटें अपने अपने टेब में आती हैं. इसलिए आप किसी भी टेब को खोल या बंद कर सकते हैं.

इस एडऑन को देखकर लगता है कि गूगल को ऐसी सुविधा स्वयं ही उपलब्ध करवानी चाहिए थी.

सोमवार, 9 नवंबर 2009

इन 10 देशों में ब्लॉगिंग 'खतरनाक'

न्यू यॉर्क की एक समिति ने ब्लॉगिंग और ऑनलाइन गतिविधियों पर पाबंदी के लिहाज से 10 सबसे खराब देशों की लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में बर्मा यानी म्यांमार को पहले नंबर पर रखा गया है।

ईरान


ईरान में एक यंग ब्लॉगर की पिछले महीने जेल में मौत हो गई। ब्लॉगिंग के लिहाज से इस देश को दूसरा सबसे खराब देश बताया गया है।

सीरिया


यहां इंटरनेट कैफे मालिकों को ग्राहकों को रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया है।

क्यूबा


इस देश में 21 ब्लॉगर्स जेल में है।

सउदी अरब


इस देश में करीब 4000 साइट्स पर सरकारी पाबंदी लगी है।

वियतनाम


वियतनाम में ऑनलाइन गतिविधियों पर व्यापक सरकारी सख्ती है।

ट्यूनिशिया


ट्यूनिशिया में ऑनलाइन गतिविधियों पर सरकारी नियंत्रण है।

चीन


चीन में भी ऑनलाइन गतिविधियों पर सरकारी नियंत्रण है।

तुर्कमेनिस्तान


इस देश में खुले पहले इंटरनेट कैफे पर पुलिसिया पहरा है।

मिस्र


मिस्र में सिर्फ पिछले साल 100 ब्लॉगर्स को हिरासत में लिया गया।

...आखिर क्या है सर्च इंजन बिंग में?

बिंग में 'नया' क्या है? बहुत कुछ! यह बिंग लॉन्च करने वाली कंपनी माइक्रोसॉफ्ट का कहना है।

माइक्रोसॉफ्ट का कहना कुछ और भी है। कंपनी ने स्वीकार किया है कि अपने पुराने सर्च इंजन 'लाइव' सर्च में लगभग वे सभी फीचर्स पहले से मौजूद थे जिन्हें बिंग में नया कह कर इनकॉरपोरेट किया गया है। माइक्रोसॉफ्ट का कहना है कि उन्होंने लाइव सर्च को ले कर ढंग की पब्लिसिटी नहीं की थी। नए बिंग में लोग इन फीचर्स को नोटिस कर रहे हैं और इन्हें नया माना जा रहा है।

चलिए जानें ऐसे ही 5 पुराने फीचर्स के बारे में, जिन्हें नया बताकर पेश किया जा रहा है...। सबसे पहले देखें बिंग का कंट्रोवर्सियल फीचर...

बिंग का विडियो सर्च: पोर्न की खिड़की खुली
बिंग का विडियो सर्च बच्चों और टीनएजर्स के लिए खास आकर्षण हो सकती है और चिंता विषय भी। बिंग के विडियो सर्च में विजिटर्स को किसी विडियो का प्रिव्यू देखने के लिए उस विडियो को क्लिक नहीं करना पड़ता। इसके लिए सर्च के पेज पर आए किसी भी थंबनेल विडियो पर कर्सर रखना होगा, बस। जिन ऑफिसों में पोर्न साइट्स ब्लॉक होते हैं वहां इसका गलत इस्तेमाल हो सकता है। इससे बच्चों के हत्थे पोर्न विडियो चढ़ने के चांसेस ज्यादा बन सकते हैं।

बिंज सर्च के जीएम माइक निकोलस ने इस बारे में कहा कि यह फीचर नया नहीं है और साल भर से ज्यादा समय से प्रैक्टिस में है।


बिंग का होम पेज: फोटो बेस्ड
वॉल स्ट्रीट जरनल ने अपने रिव्यू में कहा है, "बिंग डॉट कॉम का होमपेज किसी ग्लोसी मैगजीन के कवर पेज की तरह है। यह फोटो आमतौर पर थोड़ा अलग और आकर्षक होता है।" माइक्रोसॉफ्ट होमपेज के फोटो बेस्ड होने वाले फीचर को जून 2008 में ही लॉन्च कर चुका था, लाइव सर्च के लिए।
लोकल इंफर्मेशन के लिए: बिंग 411
टेकक्रंच (TechCrunch) का कहना है, बिंग के इंट्रोडक्शन के समय कंपनी ने बिंज 411 को एक नया फीचर कह कर इंट्रोड्यूस करवाया था। पर यह फीचर भी लाइव सर्च में लाइव 411 के नाम से पहले से ही मौजूद था। ये फीचर दरअसल, लोकल इंफर्मेशन के लिए है यानी इस फीचर के जरिए आप लोकल इंफो पाने के लिए कॉल कर सकते हैं। लाइव सर्च में यह अक्टूबर 2007 से मौजूद है।
बिंग मोबाइल: सर्च इंजन का मोबाइल वर्जन
माइक्रोसॉफ्ट को इस फीचर के लिए अच्छी खासी अटेंशन मिली है। बिंग मोबाइल दरअसल सर्च इंजन का मोबाइल वर्जन है। पर कंपनी यह खुद मान चुकी है कि यह कोई नई और खास सुविधा प्रोवाइड नहीं करती है। यानी यह किसी भी दूसरे सर्च इंजन के मोबाइल वर्जन जैसा ही है। तो कहा जा सकता है कि यह भी नया नहीं है।
बिंग का लोकल बिजनेस सेंटर
SEO Roundtable ने भी इस बारे में प्वाइंट किया है कि बिंग को ले कर जो हो हल्ला मच रहा है, वह दरअसल पुराने यानी पहले से ही मौजूद फीचर्स को ले कर हो रहा है, जो कि नए नहीं हैं। ये फीचर्स पहले से ही माइक्रोसॉफ्ट में मौजूद थे। हालांकि लोग बिंग के मामले में यह नोटिस कर रहे हैं कि बिंग का लोकल बिजनेस सेंटर भी है। यह फीचर भी बिंग में पहले से मौजूद था। बिंज के मामले में नया है तो केवल इसका यूआरएल यानी बिंग डॉट कॉम।

रविवार, 8 नवंबर 2009

इंटरनेट सर्फिंग के दौरान www एवं .com अपने आप कैसे जोडे

बस आप इंटरनेट के साईट का नाम लिख कर कंट्रोल बटन दबा कर इंटर कर दिजिए अपने आप ही www एवं .com जुड जाएगा जैसे computerfreetips लिख कर कंट्रोल के साथ इंटर मारने पर यह आ जाएगा www.computerfreetips.com

How to backup of your computer installed drivers?

You can easily create the backup of your computer installed drivers (just the particular or all drivers) and use it to troubleshoot any driver problems. This backup will be very useful when you will format your computer window due to any reason. There is no need to search the drivers from internet or drivers CD, just import the driver backup and within five minute, you will complete the driver installation process. You can move this backup from one computer to other computer for installation.

To complete the all process, we will use a simple tool called DriverMax. Using this tool, we can easily export the backup of any specific or all drivers and then import it for reinstallation later or elsewhere. You can free download (with free registration code) this tool for windows XP and Vista also. Download it and run the easy setup.

After Installation launch DriverMax, the first screen you will get with title "DriverMax - Version" and options "Export drivers, Import drivers and Installed drivers report". Just click on "Export Driver" option to start backup process.

Now after welcome screen, system will take few seconds to create the list of all installed drivers and then show you all installed drivers list.

Here you can select any specific device driver or click on "Select all" button to create the backup of entire installed drivers.

Press the Next button and in next screen you can select the export type (simple backup or in zip format) and then choose the backup location (always choose drive other than C drive).

Again press the Next and system will take some time (depend upon the size of your drivers) to finish exporting the selected drivers.

Click the "Open extraction folder button" to view the backup files or press Close button to finish it.

Now you can use this backup files (using import option) to restore drivers backup or move to any other computer.

शनिवार, 7 नवंबर 2009

ईमेल से बढ़ाएं मेल, लेकिन जरा बच के


इलेक्ट्रॉनिक मेल सेवा संचार क्रांति में खासी मददगार साबित हुई है। इसकी मदद से दुनिया के किसी भी कोने में बैठे शख्स से हम बात कर सकते हैं। शर्त बस इतनी है कि वह शख्स इंटरनेट की सेवा से महरूम न हो।

इसके फायदे के बारे में साइबर मामलों के जाने माने विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने कहा ईमेल एक डिजिटल सेवा है जिसके इस्तेमाल से एक दूसरे के संपर्क में रहने के अलावा किसी चीज का प्रचार-प्रसार भी किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि ई-मेल के आविष्कार के पीछे मकसद दो या दो से अधिक लोगों के बीच सूचना का तेजी से आदान-प्रदान करना था लेकिन अब इसका गलत इस्तेमाल भी धड़ल्ले से हो रहा है। आगे जानिए क्यों हैं बच कर रहना ज़रूरी?...


ईमेल से मानहानि और शक के दायरे में आ सकते हैं आप!

दुग्गल का कहना है कि ई-मेल के जरिये जहां किसी की मानहानि हो सकती है वहीं, यानी अपना असली नाम छुपाकर इसका दुरूपयोग भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोई भी शख्स किसी के ई-मेल आई-डी यानी किसी अन्य की पहचान और पासवर्ड जानकर दूसरों को धमकी भरा संदेश भेज सकता है और इस मामले की जांच होने पर वह शख्स शक के दायरे में आएगा जिसके ई-मेल आई-डी से धमकी दी गयी।

साइबर क्राइम और खासतौर से ई-मेल के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने भी कुछ कदम उठाये हैं।

दिल्ली पुलिस बता रही है कैसे करें सुरक्षित इस्तेमाल?

इस बारे में दिल्ली पुलिस के उपायुक्त शिवेश सिंह ने कहा कि हम अखबारों, टीवी चैनलों और अपनी वेबसाइट की मदद से लोगों को इस बात से वाकिफ करा रहे हैं कि कैसे सुरक्षित तरीके से ई-मेल का इस्तेमाल किया जाये। लोगों से काम खत्म होने के बाद सही तरीके से लॉगआउट करने, किसी को भूलकर भी अपना पासवर्ड नहीं बताने की अपील की जाती है।

उन्होंने कहा कि आतंकवादियों द्वारा भी ई-मेल के गलत इस्तेमाल की बातें सामने आ चुकी हैं। ईमेल की मदद से गुप्त ई-मेल भेजे जाने के बारे में सिंह ने बताया कि में एक खास कोड का इस्तेमाल किया जाना चाहिये जिससे कोई चाहकर भी किसी का संदेश न पढ़ सके।

गलत इस्तेमाल...हो सकती है 5 साल की जेल

साइबर क्राइम से जुड़े मामलों के जाने माने वकील दुग्गल ई-मेल के गलत इस्तेमाल के मामले में सजा के प्रावधान बारे में कहते हैं कि मानहानि के मामले में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत तीन साल की सजा और पांच लाख रूपये का जुर्माना हो सकता है।

इसी तरह यानी किसी ऐसे व्यक्ति से आपको ई-मेल मिलना जिसे आपने आमंत्रित ही नहीं किया हो, को भारत सहित दुनिया के कई देशों में अपराध घोषित किया गया है। ई-मेल इस्तेमाल करने वालों के सामने आने वाली एक बहुत ही आम समस्या है उनके एकाउंट में वायरस का संचार। दूसरों के एकाउंट में वायरस भेजना भी एक दंडनीय अपराध है। इसमें भी आईटी कानून के तहत तीन साल की सजा हो सकती है।

दुग्गल के अनुसार अभी तक भारत में साइबर क्राइम के तहत तीन लोगों को सजा सुनायी जा चुकी है।

किसे-किसे मिल चुकी है सज़ा?...

उन्होंने 2006 में सामने आए तमिलनाडु के एक मामले के बारे में बताया कि वहां एक व्यक्ति ने अपनी पूर्व महिला मित्र की तस्वीर से उसका चेहरा निकालकर उसे एक निर्वस्त्र मॉडल की तस्वीर पर लगा दिया और फिर वह तस्वीर उस लड़की के परिवार तथा उसके दोस्तों को भेज दी। इस मामले में एक अदालत ने मानहानि के आरोप में दोषी पाते हुए उस व्यक्ति को तीन साल की सजा सुनाई। ई-मेल के इस्तेमाल की शुरुआत का इतिहास 1971 से मिलता है। सबसे पहले अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के तहत काम करने वाली कंपनी बेरानेक एंड न्यूमैन(बीबीएन)के कंप्यूटर इंजीनियर रहे रे। टॉमलिनसन ने वर्ष 1971 में ई मेल का इस्तेमाल किया। यह पहला इस्तेमाल एक साथ रखे गये दो कम्प्यूटरों के बीच हुआ था।